बाबा गंगाराम धाम : झुंझुनू का श्री पंचदेव मंदिर
जहां बनते हैं भक्तों के बिगड़े काम
देवभूमि भारत को अवतारों की क्रीडा स्थली कहा जाता है | इस पवित्र भूमि में भगवान श्रीराम, योगीराज श्रीकृष्ण, महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरु नानक सरीखे महापुरुषों ने जन्म लिया | “यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवतिभारतः.......’ , भगवान श्रीकृष्ण का यह उद्घोष इस बात की पुष्टि करता है कि धर्म का ह्रास होने पर प्रभु अवतरित होकर सुख और शांति का साम्राज्य स्थापित करते हैं |
राजस्थान का शेखावाटी अंचल सदैव से ही देवमंदिरों एवं धार्मिक आस्थाओं का केंद्र रहा है | झुंझनूं नगर के सीकर –लोहारू राजमार्ग पर स्थित है, श्री पंचदेव मंदिर, जो विष्णु अवतारी बाबा गंगाराम का अवतरण स्थल होने के कारण अपनी अलग पहचान बनाए हुए है |
श्री पंचदेव मंदिर का उद्भव एवं आध्यात्मिक परिवेश
मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही प्राकृतिक हरीतिमा से आच्छादित मंदिर का मनोहारी वातावरण और मंदिर के आध्यात्मिक परिवेश से मन में एक दिव्य आनंद की अनुभूति होती है | मंदिर परिसर अत्यंत व्यवस्थित है और निर्माण काफी सूझ- बूझ भरा है | यह मंदिर अल्पकाल में ही लोगों की अपार आस्था का केंद्र बिंदु बन गया है |
श्री पंचदेव मंदिर, झुंझुनू |
बाबा गंगाराम: अवतार एवं लीलाएं
जन आस्था है कि कलियुग में श्री हरि विष्णु ने बाबा गंगाराम के रूप में अग्रवंशीय वैश्य कुल में पिता झूथारामजी
एवं माता लक्ष्मीदेवी के यहाँ श्रावण शुक्ल दशमी सन 1895 को अवतार ग्रहण किया | झुंझुनू नगर में स्थित मोदीगढ़ हवेली में इनका प्रादुर्भाव होते ही एक दिव्य प्रकाश फ़ैल गया और वातावरण में एक आलौकिक तेज छा गया | स्तब्ध परिजन इसको परमपिता परमेश्वर की कोई लीला समझ कर हर्ष से पुलकित हो गए | युवा होते-होते बाबा के उद्गारो एवं चमत्कारों की चर्चा आम हो चली थी | उनके मुख से निकली हुई कोई भी वाणी निष्फल नहीं होती थी | बाबा के कुछ ही क्षणों के सानिध्य से लोगों के कष्ट दूर होने लगे |
परन्तु इश्वरांशों ने अपने को स्थान व काल के वशीभूत कब होने दिया | बाबा गंगाराम भी झुंझुनू में धार्मिक वातावरण एवं भगवद् भक्ति का वातावरण प्रसारित करते हुए उत्तरप्रदेश के कौशलप्रदेश में पधारे एवं बाराबंकी जनपद के सफदरगंज नामक स्थान में कल्याणी नदी के तट को अपनी कर्मभूमि बनाया | उनके आगमन से बरसाती कल्याणी नदी एक बारहमासी नदी के रूप में बहने लगी | इसी कल्याणी नदी के जल में बाबा ने अपने
विष्णुरूप का आभास भक्तो को कराया था | इस प्रकार अनेकों लीलायें करते हुए बाबा मात्र 43 वर्ष की अल्पायु में ही कल्याणी नदी के तट से स्वधाम प्रयाण कर गए | परन्तु धाम गमन से पूर्व अपने परमभक्त देवकीनंदन को अपनी इहलौकिक लीलाओं का माध्यम चुनकर अपना दिव्य तेज भरते हुए कहा था कि यह बालक देवकीनंदन कलियुग में भक्ति का नया इतिहास लिखेगा, मैं देवलोक से अपने भक्तों को अभीष्ट फल प्रदान करूंगा, मेरी भक्ति व आराधना से सभी मनोरथ पूरे होंगे |
भक्त शिरोमणि देवकीनंदन का अध्भुत त्याग एवं अलौकिक चमत्कार

अंततः 21 अप्रैल 1992 को संसार को सत्य, त्याग एवं भक्ति का मार्ग दिखानेवाले भक्त शिरोमणि देवकीनंदन ने बाबा गंगाराम का नाम लेते-लेते अपना नश्वर शरीर त्याग दिया | जब उनका पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित किया जा रहा था, तब करुणा, प्रेम और दया की मूरत धर्मपत्नी गायत्रीदेवी की प्रार्थना पर चिता में अलौकिक चमत्कार दिखने लगे | भक्त शिरोमणि देवकीनंदन का दाहिना हाथ जलती हुई चिता से ऊपर उठकर आशीर्वाद देता हुआ हिलने लगा | मस्तक से जल की धारा बहने लगी और चेहरा बालरूप में परिणित हो गया | सारा वातावरण भक्त और भगवान की जय-जयकार से गूँजने लगा | उस समय खीचें गए छायाचित्र आज भी प्रमाण स्वरूप उपलब्ध हैं |
परम आराधिका माता गायत्री देवी
परम आराधिका माता गायत्री देवी आध्यात्मिक शक्तियों से परिपूर्ण परम तपस्विनी थी | भक्तशिरोमणि देवकीनंदन के महाप्रयाण के पश्चात् मंदिर परिसर में अनवरत साधना में लीन रहते हुए उन्होंने लाखों भक्तों को उचित मार्गदर्शन व आशीर्वचन देकर उनका जीवन बदल दिया | वे करुणा, प्रेम, दया, परोपकार की साकार प्रतिमा एवं परम विदुषी थी | सीता, अनुसुईया और सावित्री की भांति वे सत्य और त्याग की प्रतिमूर्ति थी | वे सदा भक्ति के चैतन्य लोक में रहती थी और प्रत्येक के हृदय की बात जानती थी | उनके मुख से जो भी निकला वो भक्तों के लिए मंत्रतुल्य हो गया | अंततः परम आराधिका माता गायत्री देवी मार्गशीर्ष शुक्ल दशमी दिनांक 29 नवम्बर 2017 को बाबा गंगाराम का मंत्र उच्चारित करते हुए सदैव के लिए बाबा की ज्योति में लीन हो गई | भक्त शिरोमणि श्री देवकीनंदन और परम आराधिका माता गायत्री देवी की कठोर साधना युगों-युगों तक भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती रहेगी, मार्गदर्शन करती रहेगी |
समाधि की पावन रज़
बाबा के मंदिर में जिस स्थान पर उक्त चमत्कार हुए, वहां भक्त शिरामणि देवकीनंदन व परम आराधिका माता गायत्री देवी की पावन समाधि बनी हुई है | मंदिर में जाने वाले श्रद्धालू समाधि की परिक्रमा करते है और वहां की रज़ को प्रसाद स्वरूप अपने साथ ले जाते है | भक्तों के असाध्य कष्ट उक्त रज को लगाने से दूर होते हैं |
बाबा की महिमा को शब्दों में पिरोना संभव नहीं है | मंदिर में श्रावण शुक्ल दशमी को बाबा का 'जन्मोत्सव', ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मंदिर का 'पाटोत्सव' एवं वैशाख कृष्ण चतुर्थी को 'आशीर्वाद दिवस' धूमधाम से मनाया जाता है | बाबा गंगाराम की कृपा से लाखों भक्तों के जीवन में अभूतपूर्व चमत्कार हुए है | बाबा के प्रति लोगों की आस्था का ही प्रतिफल है कि नगर - नगर में बाबा के भजन-कीर्तन, समारोह आयोजित किये जा रहे हैं | बाबा गंगाराम सेवा समिति के नाम से अनेकों सेवा संस्थान बाबा की महिमा के प्रचार प्रसार के अलावा सामाजिक व जनोपयोगी कार्यो में सदैव संलग्न रहते हैं | जो भी सच्चे ह्रदय से बाबा गंगाराम की आराधना करता है, बाबा उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य पूरी करते है |
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