Center of Public Faith - Shri. Baba Gangaram Dham Shree Panchdeo Mandir, Jhunjhunu, Rajasthan

जन आस्था का केन्द्र

झुंझुनू का श्री पंचदेव मंदिर - श्री बाबा गंगाराम धाम

राजस्थान के झुंझनूं स्थित श्री पंचदेव मन्दिर के विष्णुअवतारी बाबा गंगाराम के प्रति लोगों की आस्था दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कलियुग में भक्तों के कल्याण के लिए प्रगट हुये बाबा गंगाराम प्रत्यक्ष देव हैं. इनके चमत्कारों को गिनना पृथ्वी के रज-कणों को गिनने के सामान है


बाबा गंगाराम का अवतरण और लीलाएं
                                                                                                    
विष्णु अवतारी बाबा गंगाराम ने विश्व कल्याण और सनातन धर्म के उत्थान के लिए कलियुग में अवतार ग्रहण किया। श्री बाबा गंगाराम का प्राकट्य राजस्थान के झुंझनूं  नगर में श्रावण शुक्ल दशमी सन् 1895 को श्री हरि विष्णु अंश से अग्रवंशीय वैश्य परिवार में पिता झूथारामजी एंव माता लक्ष्मीदेवी की गोद में हुआ था। विद्वान् पुरोहित ने बाबा के अलौकिक जन्म नक्षत्रों को देखकर बताया कि यह अवतारी बालक ‘गंगा’ के समान पाप विनाशक एंव ‘राम’ के समान पतितपावन होगा। अतएव इसका नाम ‘गंगाराम’ होगा। युवा होते-होते उन्होंने अपने ज्ञान, दर्शन और आचरण से सबको चमत्कृत कर दिया 

तत्पश्चात वे उत्तर-प्रदेश के बाराबंकी जिले के सफदरगंज नामक स्थान में पावन कल्याणी नदी के तट पर पधारे। उनके आगमन से बरसाती कल्याणी नदी एक बारहमासी नदी के रूप में बहने लगी। इसी नदी के जल में बाबा ने अपने विष्णुरूप का आभास भक्तों को कराया था। यहाँ बाबा ने अनेकों लीलाए दिखायीं. अंततः मात्र 43 वर्ष की अल्पायु में ही कल्याणी नदी के तट पर वट-वृक्ष के नीचे योगाग्नि से अपने शरीर को त्यागकर वे स्वधाम प्रयाण कर गये।

स्वप्नादेश एवं झुझनूं में श्री पंचदेव मंदिर का निर्माण

विष्णु अवतारी बाबा गंगाराम की लीला में भक्त शिरोमणि देवकीनंदन एवं शक्ति स्वरूपा देवी गायत्री का वही स्थान है, जो भगवान राम की लीला में भक्त हनुमान का है। अपने विष्णुलोक गमन के करीब 30 वर्ष पश्चात् बाबा ने भक्त देवकीनन्दन को दिव्य स्वप्न में आकाशवाणी के द्वारा श्री पंचदेव मंदिर की स्थापना का आदेश दिया। उक्त आदेश
को शिरोधार्य करते हुये भक्त शिरोमणि देवकीनन्दन अपनी परम साध्वी धर्मपत्नी गायत्रीदेवी के साथ झुंझनूं नगर में गंगादशहरा सन् 1975 में भव्य और विशाल श्री पंचदेव मंदिर की स्थापना करवाई । मंदिर में बाबा गंगाराम सहित भगवान शिव, आंजनेय हनुमान, भगवती दुर्गा और महालक्ष्मी के मंदिर मिलाकर कुल पांच मंदिर है, अतएव इस मंदिर का नाम ‘‘श्री पंचदेव मंदिर’’ विख्यात हुआ। बाबा की शक्ति की महिमा देश के कोने-कोने में फैलने लगी। बाबा की प्रतिमा के दर्शन करते ही मन में अपार शांति मिलती है और मन की समस्त कामनाए पूर्ण होती है।

भक्त शिरोमणि देवकीनन्दन का अभूतपूर्व त्याग

इतिहास साक्षी है कि भक्त को पग-पग पर अग्नि परीक्षा देनी होती है । भक्त प्रहलाद, मीरा, नरसी आदि भक्तों को
विकट विरोध का सामना करना पड़ा था । इसी प्रकार भक्त देवकीनंदन और गायत्री देवी को कुछ धर्म विरोधी और ईष्यालु परिजन भक्ति पथ से डिगाने के लिए भांति-भांति के कुचक्र रचने लगे । परन्तु यह सब देखकर भक्त देवकीनंदन और गायत्री देवी को सांसारिक मोह माया से विरक्ति हो गई और उन्होंने अपनी करोड़ों की सम्पदा, चल-अचल सम्पत्ति तथा सुख-वैभव का परित्याग कर दिया । वे अपने दो पुत्र और चार पुत्रियों के साथ मंदिर परिसर को ही अपना संसार समझकर बाबा की सेवा में समर्पित हो गए। उनके सभी पुत्र पुत्रियों ने आजीवन विवाह न करने का संकल्प लेकर आज के इस भौतिकतावादी युग में त्याग का एक नया इतिहास रच दिया ।

भक्त देवकीनन्दन का महाप्रयाण व चिता पर चमत्कार

अन्ततः संसार को सत्य, त्याग एंव भक्ति का मार्ग दिखाने वाले भक्त शिरोमणि देवकीनन्दन ने 21 अप्रेल 1992 को प्रभु बाबा गंगाराम का नाम लेते-लेते अपना नश्वर शरीर त्याग दिया। जब उनके पार्थिव शरीर को पंचतत्व में विलीन किया जा रहा था, तो उनकी सती साध्वी धर्मपत्नी गायत्री देवी ने बाबा से भक्ति का प्रमाण संसार को दिखाने के लिये करूण प्रार्थना की। और उसी समय चिता पर अलौकिक चमत्कार दिखने लगे। भक्त शिरोमणि देवकीनन्दन का दाहिना हाथ जलती चिता में उपर उठकर आर्शीवाद देता हुआ हिलने लगा, मस्तक से जल की धारा बहने लगी और चेहरा बालरूप में परिवर्तित हो गया। जिसप्रकार रामभक्त हनुमान ने अपना सीना चीरकर सियाराम के दर्शन कराकर भक्ति का प्रमाण दिया था, उसी प्रकार भक्त शिरोमणि देवकीनन्दन ने जलती चिता से अपने त्याग, तपस्या व निष्काम भक्ति का सशक्त प्रमाण जगत को दिया।

शक्ति स्वरूपा देवी गायत्री

माता गायत्री देवी की करुण पुकार पर भक्त शिरोमणि देवकीनंदन की चिता पर हुये अलौकिक चमत्कार उनकी भक्ति की पराकाष्ठा को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं । भक्त देवकीनंदन के महाप्रयाण के पश्चात उन्होंने बाबा के लाखों भक्तों को मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद देकर कृतार्थ किया । अध्यात्मिक शक्तियों से भरपूर वे सत्य और त्याग की साक्षात् प्रतिमा एवं परम विदुषी थी । उनके मुख से जो भी निकला वो लोगों के लिए मंत्र बन गया । इसप्रकार कठोर साधना करते हुये अंततः बाबा की पावन दशमी दिनांक 29 नवम्बर 2017 को वे बाबा की परम ज्योति में विलीन हो गई । 

भक्ति और शक्ति का प्रतीक: आशीर्वाद मंदिर

श्री पंचदेव मंदिर के प्रांगण में 30 अप्रैल 2021 को ‘आशीर्वाद मंदिर’ की स्थापना की गई. आशीर्वाद मंदिर में प्रतिष्ठापित शिव स्वरूप श्री देवकीनंदन और शक्ति स्वरूपा देवी गायत्री की युगल प्रतिमा के दर्शन से अपार आनंद की अनुभूति होती है  यह मंदिर अद्भुत वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है  श्री पंचदेव मंदिर और आशीर्वाद मंदिर को मिलाकर ऐसा लगता है मानों यहाँ स्वर्ग ही उतर आया है  इसीकारण मंदिर की यात्रा करने वाले भक्तों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 

मंदिर में जाने वाले श्रद्धालू दर्शन करने के पश्चात वहाँ की ‘रज’ को प्रसाद स्वरूप अपने साथ ले जाते है, जो सांसारिक कष्टों के निवारण हेतु कलियुग में संजीवन बूटी के समान है। बाबा के दरबार में सच्चे मन से की गई कोई भी प्रार्थना निष्फल नहीं जाती  मंदिर में श्रावण शुक्ल दशमी को बाबा का ‘जन्मोत्सव’, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को मंदिर का ‘पाटोत्सव’ एंव बैशाख कृष्ण चतुर्थी को ‘आर्शीवाद दिवस’ में मेले का आयोजन होता है  बाबा गंगाराम के मंत्र-जाप एवं चालीसा-पाठ करने से अभीष्ट फल मिलता है 

विष्णु अवतारी बाबा गंगाराम की महिमा को शब्दों में पिरोना सम्भव नही है। बाबा गंगाराम की कृपा से लाखों भक्तों के जीवन में अभूतपूर्व चमत्कार हुए हैं। जो भी सच्चे हृदय से बाबा गंगाराम की आराधना करता है, बाबा उसकी समस्त मनोकामनायें अवश्य पूरी करते हैं


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